- दर्पण के सामने खडे होकर अपने दोनो हाथ नीचे करें। अब ध्यान से देखें कि दोनो स्तनो के आकार मे कोई अन्तर तो नही है ? स्तनो पर किसी प्रकार के रेशे, छाले, जख्म, गडढे हैं ? निप्पल मे किसी प्रकार का स्राव तो नही हो रहा? दोनो हाथ ऊपर ले जाकर भी इस प्रक्रिया को दोहराऐं।
- पीठ के बल लेट जाएं। बाएं कंधे के नीचे तकिया लगाएं। बाएं हाथ को सिर के नीचे रखें तथा सीधे हाथ की हथेली के हल्के दबाव से स्तनों को दबा कर गांठ की जाँच करें।
- इसी स्थिती मे स्तन के बाहरी ओर ( बगल की तरफ) गोलाई मे हथेली घुमाते हुए स्तन की जांच करें । निचले किनारे की ओर आपको सख्त घेरा सा महसूस होगा। यह असामान्य स्थिती नही है। बाई बांह को नीचे करके उंगलीयों के सम्तल हिस्से से बाई बगल मे दबाव डालते हुए हाथ फेरें । इसी तरह दांई ओर से भी इस स्टैप को दोहरा कर दाएं स्तन की जांच करें। हर माह माहवारी के सातवें दिन उपरोक्त जांच दोहराएं।
- वर्ष मे एक बार चिकित्सक से जांच कराए। एक स्तन से दूसरे का किंचित सा छोटा होना आम बात है। इसको लेकर परेशान न हो।
- हर गांठ कैंसर नही होता। कैंसर की गांठ बहुत सख्त व बडी होती है और एक ही स्थान पर स्थित रह कर पीडा देती है। इस स्थिती मे निप्पल धीरे धीरे अन्दर की ओर धंसने लगता है और स्तन की त्वचा संतरे के छिलके दे अंदरुनी हिस्से की तरह होने लगती है। वजन मे तेजी से गिरावट व भूख लगना बंद हो जाना हर प्रकार के कैंसर का आम लक्षण होता है।
स्तनो की सुरक्षा के लिए निम्न बातों का भी अवश्य ध्यान रखें :
- स्तनों को साफ सुथरा रखें। निप्पल पर पापडी न जमने दें।
- स्तनों मे दूध न जमने दें। फैशन परसती के चलते आप अपने मासूम बच्चों का हक छीनती है तो यह आप की मर्जी किन्तु आप रोगी न बन जाएं इसलिए यह जरुरी है कि स्तनों से दूध बाहर निकालते रहें।
- बच्चों को आप दूध पिलाती है तो ब्रा पह्नना न छोडे। ब्रा से स्तनो को सहारा मिलता है।
- साफ सुथरा ब्रा ही पहने।
- मोटापे से बचें । संतुलित आहार लें। पूरी-पराठे, तले-भुने पदार्थ न लें रोटी पर अधिक धी न लगाएं। स्टार्चयुक्त भोजन से बचें। नियमित व्यायाम करें ।
- गिलास को आधा खाली देखने के बजाए आधा भरा देखे। जो न मिला, उसके लिए शिकायत न कर जो मिला, उसके लिए धन्यावादी बन कर उस का लुत्फ उठाऐ आशावादी यानी पोजिटिव थिंकिंग अमृत तुल्य होती है।
No comments:
Post a Comment