Friday, December 18, 2009

गर्भाशय का कैंसर और होम्योपैथी ...

भारत में बढ़ रहा है ‘गर्भाशय कैंसर’ का ख़तरा

07 दिसंबर 2009, आईबीएन-7 .

भारत में खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर से हर 7 मिनट में एक महिला की मौत हो रही है। भारत में महिलाओं के लिए खतरा बनती जा रही है यह बीमारी।कैंसर वह बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही दिल दहल जाता है। यह ऐसी घातक बीमारी है, जो किसी भी शख्स को अपनी चपेट में कब ले लेती है पता ही नहीं चलता है और जब पता चलता है तब तक काफी देर हो जाती है। दुनिया भर में इस बीमारी का सबसे खौफनाक रूप है स्तन कैंसर।
स्तन कैंसर से ही दुनिया में सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत होती है। लेकिन अब एक और खतरनाक खबर! हमारे देश में स्तन कैंसर से भी खतरनाक कैंसर ने अपने पैर जमा लिए हैं और वह है गर्भाशय कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर। महिलाओं में यह कैंसर तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें भारत में हो रही हैं। दुनियाभर में सालाना 5 लाख महिलाओं की मौत गर्भाशय कैंसर की वजह से होती है, जिसमे से 1 लाख 74 हजार सिर्फ भारतीय महिलाएं हैं। यह कैंसर एचपीवी वायरस से होता है। भारत में गर्भाशय कैंसर शहरों और गांवों दोनों जगह की महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसकी वजह अलग-अलग है। छोटे गांव और कस्बों में जानकारी और पैसे की कमी की वजह से महिलाएं अपनी नियमित डॉक्टरी जांच नहीं करवा पाती हैं। वहीं बड़े शहरों में बदलता रहन-सहन गर्भाशय कैंसर बढ़ने के लिए जिम्मेदार है।
इसकी प्रमुख वजह है गर्भाशय का अपनी सही जगह से हिल जाना। जब गर्भाशय अपनी जगह से हटकर आगे,पीछे या नीचे की ओर मुड़कर टेढ़ा हो जाता है तब इस रोग के होनेका खतरा होता है। ऐसा तब होता है जब गर्भाशय को सही जगह रखने वाली मांसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं। मांसपेशियों के ढी़ले पड़ने और गर्भाशय के प्रोलेप्स के कुछ प्रमुख कारणों में निम्न कारण शामिल हो सकते हैं ---

* भारी चीज़े उठाना
* चोट लगना
* गिर जाना
* अधिक सहवास
* बहुत ज़्यादा प्रसव कभी-कभी अत्यधिक शीरीरिक कमज़ोरी भी इसका कारण बन सकती है।
* एक से ज्यादा व्यक्ति से शारीरिक संबंध इस कैंसर की आशंका को और बढ़ा देता है।
* धूम्रपान करनेवाली महिलाओं के शरीर में भी इस कैंसर के वायरस के पनपने में आसानी होती है। *अगर आप एचआईवी पॉजिटिव हैं, आपको खुद, या आपकी मां या बहन को यह कैंसर हो चुका है, आपका वजन ज्यादा है तो गर्भाशय कैंसर होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

गर्भाशय के प्रोलेप्स और गर्भाशय के कैंसर के कुछ प्रमुख कारण हैं-
1) पुरानी सूजन के कारण यूटरस का बाहर निकलने को तत्पर होना।
2) बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना और ऐसा लगना की यूटरस बाहर निकल जाएगा।
3) सिर में रक्त का अधिक दबाव होना और टीस की तरह दर्द होना व ऐसा लगना की पेट की सभी नस-नाड़ियाँ योनिपथ से बाहर निकल जाएगी।
4) रोगिनी का योनिपथ को हाथ में दबाकर रखने की चाह होना,यह डर होना की ऐसा ना करने पर गर्भाशय बाहर निकल जाएगा।

हर कैंसर की तरह गर्भाशय कैंसर का भी पता नहीं चलता है। शरीर में कोई ऐसा बदलाव नहीं आता जिससे इस कैंसर के वायरस के पनपने की भनक तक लगे। कैंसर के बढ़ने पर यह गर्भाशय यानी बच्चेदानी के मुंह पर एक दाने की तरह बन जाता है। इस वजह से यौन संबंध बनाने के बाद महिलाओं को खून आने की शिकायत होती है। यही गर्भाशय कैंसर का पहला संकेत है। लेकिन अक्सर इस संकेत के मिलने तक कैंसर काफी बढ़ चुका होता है।

इसके कुछ उपचार :
1)होम्योपैथी में सीपीया की उच्चतम पोटेन्सी,पलसेटिला,अर्निका की उच्चतम पोटेन्सी बेलाडोना की मल्य पोटेन्सी तथा लिलियम टिग व औरमम्यूर नेट्रोनेटम का उपयोग शीघ्र व असरदार निवारक है।
2) अगर गर्भाशय फायब्राईड से भरा है या गर्भाशय की दीवार में फायब्राईड हो तो पल्सेटिला की उच्चशक्ति या काली आयाडाइड की 3x या 30 शक्ति लाभप्रद है।
3) डिम्बकोष व गर्भाशय में ट्यूमर अथवा कैंसर होने पर हाईड्रैस्टिस की 10 से 15 बूंदें आधा कप पानी में मिलाकर 2 से 3 बार लेने पर 10-20 दिनों में लाभ हो सकता है।यूटरस के कैंसर की दूसरी उपयोगी दवा है आर्सेनिक आयोडाईड,कैल्केरिया आयोडाईड,कोनियम है।
4) सप्ताह में एक बार कार्सिनोसिन 1एम ट्यूमर या कैंसर में लाभदायक है।यह रोग स्त्री में प्रौढ़ावस्था के दौरान होने की संभावना होती है।


डा. नेहा बिदानी

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