Tuesday, December 29, 2009

होम्योपैथी से संभव है स्त्री बन्ध्यत्व का उपचार !!

प्रत्येक महिला और प्रत्येक विवाहित पुरुष का सपना होता है कि विवाह के बाद के कुछ वर्षों के भीतर उनके परिवार में बच्चे पैदा हों । यह कामना करना स्वाभाविक है, क्योंकि हर कोई चाहता है कि उसके परिवार में अगली पीढी का आगमन हो । लेकिन इन सब काम्नाओं पर तब तुषारापात हो जाता है , जब विवाह के कई साल बीत जाने के बाद बच्चे नहीं होते । बस यहीं से समस्या की शुरुआत होने लगती है ।

आजकल इस समस्या में बढ़ोतरी होती देखी गई है। देर से शादी, बढ़ते हुए यौन रोग, कार्यक्षेत्र में बढ़ता हुआ रसायनिक प्रदूषण और करियर की दौड़ में गर्भाधान को टालना सभी इस बढ़ोतरी में उत्तरदायी हैं।

हर युगल को मासिक चक्र का ज्ञान होना चाहिए। यदि मासिक धर्म चक्र नियमित (28 से 30 दिन का) हो तो अंडाणु करीब 13 से 16वें दिन तक बनता है। अंडाणु करीब 24 घंटे जीवित रहता है, जबकि शुक्राणु 72 घंटे तक जीवित रहता है। यदि 10वें से 20वें दिन तक एक दिन छोड़कर सहवास किया जाए तो गर्भधारण हो सकता है। एक मासिक चक्र में इस तरह 20 प्रतिशत मौके हैं गर्भधारण के। कई बार हार्मोन की समस्या के कारण भी निःसंतानता हो सकती है। खून में हार्मोन की जाँच एक निर्धारित समय (माहवारी के पहले से पाँचवें दिन) की जाती हैं।

यूँ तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्यतः स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है-

पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं।

दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी कहते हैं।

तीसरा- गर्भस्रावण बन्ध्यत्व यानी गर्भ तो धारण कर ले पर गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भस्राव या गर्भपात हो जाए। इसे रिलेटिव स्टेरिलिटी कहते हैं।

इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता।

इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके। किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें-

सीपिया-30 : जरायु से संबंधित रोगों व बन्ध्यत्व के लिए यह मुख्य औषधि है। इसके लिए सीपिया-30 शक्ति की गोली सुबह-शाम लाभ न होने तक चूसकर लेना चाहिए।

कोनियम मेक : सिर को दाएँ-बाएँ हिलाने से चक्कर आ जाना इसका मुख्य लक्षण है। बाँझ स्त्री में यह लक्षण होना ही इस दवा को चुन लेने के लिए काफी है। डिम्ब कोश की क्षीणता के कारण गर्भ स्थापित न होता हो तो कोनियम मेक का सेवन लाभ करता है। कोनियम मेक सिर्फ 3 शक्ति में सुबह-शाम चूसकर सेवन करना चाहिए।

प्लेटिना 6 एक्स: अत्यंत संवेदनशील और भावुक स्वभाव होना, जननांग को छूते ही स्त्री का शरीर ऐंठने, मचलने लगे, अत्यंत कामुक प्रकृति, हिस्टीरियाई रोग के लक्षण होना, मासिक धर्म अनियमित हो, तीव्र कामवासना की प्रवृत्ति हो तो प्लेटिनम या प्लेटिना 6 एक्स शक्ति में सुबह-शाम चूसकर लेना चाहिए।

थ्लेस्पी बर्सा पेस्टोरिस : ऋतुकाल के अलावा समय में रक्त स्राव होना, अधिक होना, दाग धोने पर भी न मिटना, स्राव के समय दर्द होना आदि लक्षणों वाली बन्ध्या स्त्री को थ्लेस्पी बर्सा पेस्टोरिस का मूल अर्क (मदर टिंचर) सुबह- शाम दो चम्मच पानी में 4-5 बूँद टपकाकर लेने से लाभ होता है व गर्भ स्थापित हो जाता है।

पल्सेटिला : यह महिलाओं की खास दवा है। सीपिया और कैल्केरिया कार्ब की तरह यह दवा स्त्री के यौनांग पर विशेष प्रभाव डालती है। ये तीन दवाएँ स्त्री शरीर के हारमोन्स को सक्रिय कर देती हैं। पहले पल्सेटिला की एक खुराक 3 एक्स शक्ति में देकर आधा घंटे बाद पल्सेटिला 30 एक्स शक्ति में देना चाहिए। इस तरह दिन में 3-3 खुराक देना चाहिए, इसी के साथ सप्ताह में दो बार सीपिया 200 शक्ति में और कैल्केरिया कार्ब 200 शक्ति में दिन में एक बार देना चाहिए। इस प्रयोग से दो या तीन माह में बन्ध्यत्व दूर हो जाता है।

औरम म्यूर नैट्रोनेटम : इसे स्त्री बाँझपन को दूर करने की विशिष्ट दवा माना जाता है। गर्भाशय के दोषों को दूर कर यह दवा गर्भ स्थापना होने की स्थिति बना देती है। गर्भाशय में सूजन हो, स्थानभ्रंण यानी प्रोलेप्स ऑफ यूटेरस की स्थिति हो, योनि मार्ग में जख्म हो या छाले हों तो नैट्रोनेटम 2 एक्स या 3 एक्स शक्ति में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसे 30 शक्ति में भी लिया जा सकता है।

यहाँ होम्योपैथिक तरीके से इलाज का तरीका व दवाई के नाम बताए गए हैं। जिन्हें बन्ध्यत्व की तकलीफ़ का जैसे ही पता चले, सबसे अच्छा है कि ऐसी महिलायें अपना उपचार होम्योपैथि से ही करायें । होम्योपैथिक चिकित्सा इस विषय विशेष में अच्छा दखल रखती है व बीमारी के उपचार में सहायता करती है। लेकिन दवाओं के इस्तेमाल से पूर्व योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

सही जानकारी, धैर्य, खर्च करने की क्षमता, मानसिक संतुलन तथा सही समय पर पहल आवश्यक पहलू हैं इस इलाज की सफलता के। सही समय पर फैसला कर लिया जाए और संतानहीनता की पीड़ा से मुक्ति पाने का इरादा कर लिया जाए तो कई तकनीकें हैं, जो शायद आपके आँगन में नन्हे कदमों की आहट के इंतजार को खत्म कर दें।

8 comments:

  1. डा. नेहा जी हिन्दी ब्लागिगं और विशेष कर होम्योपैथी से संबधित चिठ्ठॊं मे आपका स्वागत है ।

    डा. प्रभात टन्डन
    होम्योपैथी नई सोच / नई दिशायें
    Homeopathy- A New Approach

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  2. इस नए ब्‍लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. अच्‍छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!

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  3. शुक्रिया अजय, डा.प्रभात एवं संगीता जी,
    आशा है आप आगे भी मुझे इसी तरह प्रोतसाहित करते रहेंगे।
    नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ।

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें

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  5. नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ द्वीपांतर परिवार आपका ब्लाग जगत में स्वागत करता है।
    pls visit.......
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  6. Thanks for sharing your post. Natural infertility treatment plays a vital role in the process of sperm development, in promoting proper maturation and morphology of sperm, and in ensuring the maintenance of sperm quality and vitality. Visit http://azoospermia.in/

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